जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों का कहना है कि आर्थिक संकट से जूझ रहीं अर्थव्यवस्थाओं द्वारा हाल ही दिए गए सकारात्मक संकेतों के बावजूद इस दिशा में प्रयासों को जारी रखा जाएगा और वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए उपाय किए जाएंगे.
जी-20 देशों के वित्तमंत्री इसी महीने रूस के पिट्सबर्ग शहर में होने वाली शीर्ष बैठक का आधार तय करने के लिए लंदन में दो-दिवसीय सम्मेलन में भाग ले रहे थे.ब्रिटेन के वित्तमंत्री एलिस्टेयर डार्लिंग ने जी-20 देशों की ओर से शनिवार शाम एक संयुक्त वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि सभी वित्त मंत्री इस बात से सहमत हैं कि आर्थिक मंदी से जूझने की दिशा में सरकारों द्वारा अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को दी जा रही मदद से हाथ खींचना काफी हानिकारक हो सकता है.
हालांकि इससे पहले फ्रांस और जर्मनी ने कहा था कि मदद जारी रखने से सरकारों पर ऋण का बोझ बहुत ज्यादा बढ़ सकता है इसलिए एक एग्ज़िट स्ट्रैटेजी, यानि धीरे-धीरे हाथ खींचने की नीति पर विचार किया जाना चाहिए.
जी-20 देशों ने इस बैठक के बाद कई उपायों को रेखांकित किया है.
कुछ अहम उपाय
1. विश्व की वित्तीय व्यवस्था और खासतौर से अतंरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक की नीतियों में सुधार लाने और उन्हें और मज़बूत बनाने की दिशा में काम किया जाएगा. साल 2011 तक मुद्रा कोष की कोटा-व्यवस्था में समीक्षा पूरी कर ली जाएगी.2. मंत्रियों के अनुसार इन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की नीति निर्धारण प्रक्रिया में विकासशील औऱ गरीब देशों की भूमिका को और सशक्त बनाया जाएगा.
3. दुनियाभर में बैंकों और व्यापार में लगे वित्तीय संस्थानों के काम करने के तरीकों पर निगरानी रखने के लिए आर्थिक स्थिरता बोर्ड को और सशक्त बनाया जाएगा. साथ ही ऐसी नीतियों पर बातचीत की जाएगी जिनसे संस्थानों के कामकाज और उनके निवेश के फैसलों में पारदर्शिता बनी रहे.
4. बाज़ार और निवेश से जुड़ी वित्तीय संस्थाओं और बैंकों के लिए न्यूनतम पूंजी की सीमा निर्धारित करने की दिशा में सरकारों को अपने यहां कानून बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
5. कर चोरी को आसान बनाने वाले देशों और संस्थानों से निपटने के लिए मार्च 2010 तक कड़ी नीतियां बनाई जाएंगी.
6. वैश्विक स्तर पर व्यापार और निवेश करने के ऐसे मानक स्थापित किए जाएंगे जिनसे अर्थव्यवस्थाओं को मज़बूती मिले.
आईएमएफ़ की घोषणाएं
सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने भी बैठक के बाद कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं.
बैठक में भाग ले रहे आईएमएफ के प्रमुख डोमिनिक स्ट्रॉस क्हान ने कहा कि गरीब देशों की मदद के लिए छह साल की अवधि के लिए 17 अरब डॉलर का कर्ज़ मुहैया कराया जाएगा. इससे पहले 6 अरब डॉलर का कर्ज सिर्फ 2 साल तक की अवधि तक ही सीमित था.
इसके अलावा अर्थव्यवस्थाओं की मदद के लिए पहली बार आईएमएफ ने 250 अरब डॉलर के एसडीआर या स्पेशल ड्राइंग राइट्स जारी किए हैं.
वहीं क्हान ने चेतावनी दी कि मंदी के खिलाफ अर्थव्यवस्थाओं द्वारा की गई प्रगति के बावजूद भविष्य में बेरोज़गारी के और बढ़ने की पूरी आशंका है और सरकारों को इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए.
इस बैठक में भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने हिस्सा लिया.
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